ॐ जय जगदीश हरे आरती, Aarti Om Jay Jagdish Hare Lyrics

Aarti Om Jay Jagdish Hare Lyrics : यहाँ पर दुनिया के सबसे ज्यादा लोकप्रिय प्रसिद्ध विष्णुजी की आरती ॐ जय जगदीश हरे आरती के लिरिक्स हिंदी और इंग्लिश में दिए गए हैं. इस आरती को आप विष्णुजी की पूजा आरती करते समय गा सकते हैं. यह आरती इतना लोकप्रिय हैं की इसे किसी भी पूजा पर गाया जाता हैं.

इस Jagdish Ji Ki Aarti की रचना 150 वर्ष पहले 1870 में पंडित श्रद्धाराम शर्मा ने की थी. तब से यह आरती किसी भी पूजा अनुष्ठान का एक अभिन्न अंग बन चूका हैं. पंडित श्रद्धाराम शर्मा एक विख्यात साहित्यकार, स्वतंत्रतासेनानी, ज्योतिष और सनातन धर्म के प्रचारक थे. इनका जन्म 30 सितम्बर 1837 को पंजाब में लुधियाना के निकट फुल्लौरी गांव में हुआ था.

ॐ जय जगदीश हरे आरती

Aarti Om Jay Jagdish Hare Lyrics

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

Aarti Om Jay Jagdish Hare Lyrics in English

Om Jaye Jagdish Hare, Swami Jaye Jagdish Hare॥
Bhagt Jano Ke Sankat, Khshan Mein Door Kare॥

Jo Dhaywe Phal Pave, Dukh Vinse Man Ka॥
Sukh Sampati Ghar Aave, Kasht Mite Tan Ka॥

Maat-Pita Tum Mere, Sharan Gahun Kiskee॥
Tum Bin Aur Na Duja, Aas Karun Jiskee॥

Tum Puran Parmatma, Tum Antaryami॥
Par-Brahm Parmeshwar, Tum Sabke Swami॥

Tum Karuna Ke Saagar, Tum Palankarta॥
Main Moorakh Khal Kami, Mein Sewak Tum Swami,
Kripa Karo Bharta …

Tum Ho Ek Agochar, Sabke Pran Pati॥
Kis Vidhi Milun Dayamay, Tumko Main Kumti॥

Deenbandhu Dukh Harta, Thakur Tum Mere, Swami Rakshak Tum Mere॥
Apne Hath Uthaao, Apni Sharan Lagao,
Dwar Para Tere …

Vishay Vikaar Mitaao, Paap Haro Deva॥
Shradha Bhakti Badhaao, Santan Ki Sewa॥

Om Jaye Jagdish Hare, Swami Jaye Jagdish Hare॥
Bhagt Jano Ke Sankat, Khshan Mein Door Kare॥

FAQ

प्रश्न 01 – ओम जय जगदीश हरे आरती कब लिखी गई थी?

ओम जय जगदीश हरे आरती की रचना 1870 में हुई थी. इस आरती को पंडित श्रद्धाराम शर्मा ने लिखा था.

प्रश्न 02 – जगदीश भगवान कौन हैं?

भगवान विष्णुजी को जगदीश भगवान के रूप में पूजा जाता हैं.

प्रश्न 03 – जगदीश को हिंदी में क्या बोलते हैं?

जगत का स्वामी; भगवान; ईश्वर।

प्रश्न 04 – विष्णुजी के 12 नाम कौन – कौन से हैं?

  • अच्युत
  • अनंत
  • दामोदर
  • केशव
  • नारायण
  • श्रीधर
  • गोविंद
  • माधव
  • हृषिकेश
  • त्रिविकरम
  • पद्मानाभ
  • मधुसूदन

प्रश्न 05 – भगवान श्री विष्णुजी के 10 चमत्कारी मंत्र कौन से हैं?

(1) ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

(2) श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

(3) ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

(4) ॐ विष्णवे नम:

(5) ॐ हूं विष्णवे नम:

(6) ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

(7) लक्ष्मी विनायक मंत्र –
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

(8) ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

(9) ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:

(10) ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टंा च लभ्यते।।

आरती लिस्ट

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